Sunday, 30 May 2021

 II श्रीराम जय राम जय जय राम II


तुका राम बहुत मिठा रे I

भर राखू शरीर I

तनकी करूं नावरि I

उतारुं पैल तीर II


"In this composition Sant Tukaram Maharaj says, there is no better boat  than our body filled to the brim with "RamNam", the nectar of immortality, to cross the ocean of repeated sufferings once and for all."


II श्रीराम जय राम जय जय राम II


II श्रीसद्गुरूचरणार्पणमस्तु II

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